सप्ताह के 7 दिनों का धार्मिक महत्व

प्राचीनकाल से सप्ताह के सातों दिन, किसी न किसी खास देवी या देवता को समर्पित हैं। उनमें देवी-देवताओं के पूजन का विधान इस प्रकार है :

सोमवार
इस दिन रजतपात्र या ताम्रपात्र में गंगाजल और दुग्ध मिश्रित जल भगवान शिव को अर्पण करें तथा शिवलिंग पर आक के फूल, बेलपत्र, धतूरा, भांग, चंदन आदि समर्पित करें। ध्यान रखें शिवजी को रोली नहीं चढाई जाती है।

आहार : दूध और इससे बनी चीजें दही, श्रीखंड, खोये के पेडे, बर्फी आदि ग्रहण करें। साथ ही आप केला, सेब, अमरूद, चीकू आदि का भी सेवन कर सकते हैं।

पूजन व जप : चंदन, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य से विधिवत श्री शिवजी का पूजन करके रुद्रसूक्त, शिवमहिम्न स्त्रोत, शिव चालीसा आदि का पाठ करें और ॐ नम: शिवाय मंत्र का जप करें।

वस्त्र : मोतिया या हलके भूरे रंग के वस्त्र धारण करें। कुंआरी कन्याएं श्रेष्ठ पति की प्राप्ति के लिए और विवाहिताएं दांपत्य जीवन की मधुरता बनाए रखने के लिए यह व्रत रखें।

मंगलवार
इस दिन तांबे या रजत पात्र में गंगाजल या शुद्ध सुगंधित जल लेकर, उससे हनुमान जी को स्नान कराएं। इसके अलावा चमेली के तेल या गाय के घी में सिंदूर मिलाकर और सिंदूरी अथवा भगवा रंग के वस्त्र उन्हें चढाएं। गुड, चना, चूरमा, लड्डू व बूंदी अर्पण करें।

आहार : दूध, दही, पनीर, श्रीखंड, अन्नरहित मिष्ठान और फल ले सकते हैं।

पूजन व जप : गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य से हनुमान जी का पूजन करें और ॐ हं हनुमते नम: अथवा हनुमत् द्वादश नामों का स्मरण और हनुमान चालीसा पाठ करें।

वस्त्र : सिंदूरी लाल रंग के वस्त्र धारण करें।

बुधवार
रजत या ताम्र पात्र में गंगाजल व केवडा आदि से सुगंधित पदार्थयुक्त जल गणेश जी को अर्पित करें। साथ ही ऋद्धि-सिद्धि एवं शुभ-लाभ का भी पूजन करें। गणेश जी को हरी दूब अर्पण करने से इष्ट सिद्धि, मनोरथ प्राप्ति तथा वंश वृद्धि होती है।

पूजन व जप : गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य से श्री गणपति का पूजन करें और ॐ श्री गणेशाय नम: मंत्र का जाप करें।

वस्त्र : आहार के रूप में दूध और इससे बने पदार्थो का प्रयोग करें तथा फल भी ग्रहण कर सकते हैं।

वस्त्र : मोतिया, हरा या श्वेत वस्त्र धारण करें।

बृहस्पतिवार
इस दिन रजत या ताम्र पात्र में शुद्ध जल या गंगाजल, गुलाबजल, केवडा व इत्र आदि मिश्रित जल भगवान विष्णु को अर्पण करें। अगर भगवान की प्रतिमा न हो तो केले के पेड की पूजा करें।

आहार : दूध, दही, मिष्ठान, फल आदि ग्रहण करें। केला इस दिन नहीं खाएं।

पूजन व जप : गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य से भगवान लक्ष्मीनारायण अथवा श्री विष्णु की मूर्ति की पूजा करें तथा ॐ विष्णवे नम: अथवा ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र जाप करें। इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम पाठ भी शुभ फलदायी सिद्ध होता है।

आहार : पीले रंग के वस्त्र धारण करें ।

शुक्रवार
इस दिन रजत या ताम्र पात्र में शुद्ध जल या गंगाजल, गुलाब जल श्री लक्ष्मी जी को अर्पण करके गंध, अक्षत, पुष्प, दीप नैवेद्य से विधिवत पूजन करें। इसी दिन मां संतोषी का व्रत एवं वैभव लक्ष्मी व्रत भी किया जाता है।

आहार : शुक्रवार को खटाई न तो खाएं और न ही स्पर्श करें। दूध, फल, गुड, चना व बेसन से निर्मित पकवानों को ग्रहण करें।

जप : ॐ श्री महालक्ष्म्यैनम:, ॐ श्री वैभवलक्ष्म्यैनम: मंत्रों का जाप करें। श्री सूक्त, लक्ष्मी सूक्त आदि स्त्रोतों का पाठ करें।

वस्त्र : लाल, गुलाबी या भूरे रंग के वस्त्र धारण करें।

शनिवार
इस दिन ग्रहों की प्रसन्नता के लिए नवग्रहों का गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य से पूजन, जप, दान, तर्पण आदि करना चाहिए। विशेष रूप से शनिवार शनिग्रह के लिए पूजनादि का उपयुक्त दिन है। पूजन के पश्चात नवग्रहों को तेल, सिंदूर, उडद, दही आदि अर्पण करें। इस दिन शनिग्रह की शांति के लिए सरसों के तेल का दान करें।

आहार : तेल व बेसन निर्मित पदार्थो को ग्रहण करें तथा दुग्ध, फल आदि ग्रहण करें।

जप : इस दिन शनि प्रतिमा पर सरसों का तेल व सिंदूर चढाकर ॐ शनिदेवाय नम: या ॐ शनै: शनिश्चराय नम: मंत्र का जाप करें।

वस्त्र : नीले या आसमानी वस्त्र धारण करें।

रविवार
इस दिन तांबे के पात्र में गंगाजल, रोली, शक्कर मिले हुए जल से भगवान् सूर्य को अ‌र्घ्य प्रदान करें। गंध, अक्षत, पुष्प, दीप, नैवेद्य से पूजा करें। सूर्य मंत्र का जाप करें। सूर्य के विभिन्न नामों का स्मरण करते हुए सूर्य नमस्कार करें। सूर्य सूक्त का पाठ करें।

आहार : इस दिन केवल मीठा भोजन जैसे - खीर, दूध, हलवा, फल आदि ग्रहण करें।

जप : ॐ घृणि: सूर्यायनम: मंत्र का जाप करें। आदित्यहृदय स्त्रोत का पाठ करें। गायत्री मंत्र का जाप और यदि संभव हो तो हवन करें।

वस्त्र : इस दिन हलके लाल या भूरे रंग के वस्त्र धारण करें।

नोट : सप्ताह के सातों दिनों के लिए वस्त्रों के जो रंग बताए गए हैं, अगर किसी कारणवश आप उस दिन बताए गए खास रंग का वस्त्र धारण न कर सकें तो अपने पास उस रंग का रूमाल या फूल रखें।

0 comments: