आजकल मुन्ना भाई पर धुन सवार है कि वो भी भाईगिरी छोडकर चैनल वाले बाबाओं की तरह प्रवचन देना, कथा करना शुरू करेगा और उसने सर्किट से वादा किया है कि वो केवल प्रवचन करेगा, लाईट, टेंट, माइक का ठेका अन्य बाबाओं की तरह खुद नहीं लेगा बल्कि सारे ठेके सर्किट को देगा। मुन्नाभाई ने दीपावली से कथा करने का निर्णय लिया है। फिलहाल वे अपने प्रवचन का पहला प्रहार सर्किट पर कर रहे हैं- तो इति सम्प्रति वार्ता शूयन्ताम।)
अे सर्किट! तेरे को पता है ना कि रामजी कौन थे?
अे भाय! कइसा बहकी-बहकी बात कर रेले हो अपुन राम को जानता तो नेता-वेता नई होता बाप! अपुन को इतना इच पता है कि रामजी अपुन का कंट्री में पैदा हुयेले थे। इसके आगे पूछना हो तो खुद रामजी से पूछना या फिर गोरमेंट से, अपुन सॉरी बोलता भाय!
अरे नई रे, तेरे नालिज के आगे तो अपुन कान पकडता है। तेरे को कम से कम ये तो पता है कि राम जी अपने इच कंट्री में पैदा हुयेले थे। तेरे नालिज के वास्ते अपुन तेरे को अभी इच नोबल प्राइज देता, पर ये अभी अपुन के हाथ में नई है रेऽऽऽ
कोई बात नहीं भायऽऽ, हाथ में आ जाये तब देना। अभी तो रात को आक्खा शहर का शटर डाउन होयेंगा। पर हां.. भाय.. ये तुम रामजी का बात किया तो अपुन थोडा इमोशनल हो गया भाय। अपुन को रामजी का थोडा बैक ग्राउन्ड हिस्ट्री बताओ ना भाय तुम तो सीधा गांधी जी के टच में हो वो भी आक्खा लाइफ एक इच सोंग सिंगते रहे- रघुपति राघव राजा राम।
वो अपुन को राम जी के बारे में गांधी जी ही ब्रीफ कियेले थे- बोले तो, राम जी अयोध्या के किंग के प्रिंस थे। फिर बोले तो रामजी के फादर ने अपना सैकण्ड वाइफ को कुछ जुबान दियेले थें, इसी जुबान के चक्कर में रामजी फोरेस्ट टू फोरेस्ट घूमे। फोरेस्ट में रावण ने रामजी की वाईफ को हाइजैक (यहां मुन्नाभाई का तात्पर्य अपहरण से है) कर लिया और उनको अशोका गॉर्डन (यहां इनका तात्पर्य अशोक वाटिका से रहा होगा) ले गया। फिर राम जी ने रावण के आक्खा खानदान की वाट लगा दी और फिर बोले तो रावण को खलास कर दिया फिर वो वापस अपने देश आ गये और आक्खा इंडिया ने दीवाली मना डाली।
क्या बोल रेले हो भायऽऽ। ये लक्ष्मी जी कौन है भाय? क्या ये रामजी से भी पॉवरफुल है?
ये सब पइसे का चक्कर है रे सर्किट। पइसा-पइसा-पइसा, जब अंटी में हो पइसा, तो फिर राम कइसा। अभी लक्ष्मी बोले तो- पइसा, रोकडा, पेटी, खोखा- ये बहुत चंचल है रे। हसबैण्ड बोले तो- बोले तो, विष्णुजी- वेरी स्मार्ट, पॉवरफुल रोकडे वाला.. पर ये लक्ष्मी आंटी ना उनके पास भी टिकती इच किधर है।
अे भाय!- ये केलकुलेशन अपुन के समझ में नहीं आया, हसबैण्ड इतना स्मार्ट, इतना पावरफुल है तो ये साथ काय को नहीं रहेली है?
तू भी पकिया के माफक पक गयेला है रेऽऽ, अपुन को गांधी जी ने रहीम जी का एक शेर सुनाया। लक्ष्मी जी के बारे में। शेर तो अपुन को पूरा याद नई रे-पन.. बोले तो-
कमला स्टेबल नहीं, बोले तो ये इच जानता सब कोय।
ये पुरुष पुरातन का वाइफ है, बोले तो क्यों न चंचल होय॥
वाह भाय वाह.. क्या शेर मारा है.. इसका मीनिंग बोले तो- ?
बोले तो.. जइसे ये वो इच कमला के माफिक है, जिसको हर कोई छतरी के नीचे बुलाने को मांगता, कोई घर बुलाने का मांगता, कोई आफिस, कोई तिजोरी में, कोई गल्ले में। दूसरा- ये कमला; बोले तो लक्ष्मी स्टेबल नहीं है रेऽ, एक जगह टिकती इच नहीं, और इसका पुरुष यानी हसबैण्ड बहुत पुराना है रे इसी वास्ते ये बहुत चंचल है, जैसे, अपुन का चिंकी (यहां उनका आशय उनकी गर्लफ्रेन्ड से है), तेरा जीभ, बोले तो फुल टाइम लपर-लपर करेली है और ये बाटली (शास्त्रों में भी लक्ष्मी, स्त्री, जिह्वा व मदिरा को चंचला कहा गया है)
अे भाय! लोग लक्ष्मी को कइसे-कइसे इनवाइट करते हैं और ये एन्ट्री कैसे करती है?
अे सर्किट! लक्ष्मी आंटी को लोग दो तरह से इनवाइट करता इच है पहला- गांधी से दूसरा- दादागिरी से।
अे भाय। थोडा खुल के बोलो ना भाय।
अरे गांधीगिरी बोले तो अहिंसा से, उसका तारीफ करके, उसको मसका मारके- बोले तो- अे लक्ष्मी माई तुम गोल्ड के माफक पीली, चंद्रमा के माफिक व्हाइट-झक्कास, चांदी की माला पहनेली, हिरणी का टाइप चंचल, तुम अपुन के घर आओ।
(ॐ हिरण्यवर्णारिणीं सुवर्ण रजत स्त्रजाम चंद्रा हिरण्य मयीं लक्ष्मी जात वेदो म आ वह) श्री सूक्तम्
दूसरा बहुत सॉलिड तरीका है रे सर्किट, भाई लोगों वाला लक्ष्मी के बेटे किसी सेठ का भेजे में बंदूक रखने का, घोडा पे अंगुली रखने का, लक्ष्मी रनिंग करता हुआ तुम्हारे पास आयेंगा। दीवाली के दिन लक्ष्मी को बुलाने का फार्मूला आउट डेटेड टाइप के लोगों का हय रे। एक और बिन्दास तरीका है, लक्ष्मी जी के ड्राइवर कम व्हीकल यानि उल्लू की कनपटी पे घोडा तानो, लक्ष्मी जी अगर अहमदाबाद जा रेली होयेंगी तो दिल्ली का रूट पकड लेंगी।
अे भाय! वो एन्ट्री वाली बात?
वो इच बता रेला हूं रे.. इसका एन्ट्री बहुत धमाकेदार बहुत ब्लास्टिंग होता। किदर से भी एन्ट्री करना इसका पुराना स्टाइल है रे। अभी ये रात को बारा बजे दीवार फांदकर आये या खिडकी तोडकर ये इसका मरजी है। ये टेबल के नीचे से आये या टिफिन के अंदर से, डर से आये या टेण्डर से, गोली से आये या बोली से टोटली उस पर डिपेण्ड करता है। और ये दो कलर को बहुत लव करती है- ब्लैक एंड व्हाइट-बोले तो, गोरी और काली। अपुन इंडियन लोगों को काली लक्ष्मी जी बहुत स्मार्ट लगती है-बोले तो ब्लैक ब्यूटी और मनी-व्हेरी चार्मिग।
अे भाय ये ब्लैक लक्ष्मी- व्हाइट कैसे होती है?
जब ये साधु-बाबाओं के पास जाती है। इदर ये बाबा लोग बहुत पॉवर फुल है.. इनका खोली में कोयला घुसता है, दूध बाहर निकलता है। इदर आदमी लंगोट लगाकर आता है, लुंगी लगाकर जाता है। वो आरती नहीं सुना.. सब संभव हो जाता मन नहीं घबराता- बोले तो-जै लक्ष्मी माता।