उनका कहना है कि मूल तत्व है, एलीसिन.
एलीसिन से ही सल्फ़र के यौगिक बनते हैं जिससे तेज़ गंध आती है और जिससे साँस में भी दुर्गंध बस जाती है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि सल्फ़र के ये यौगिक लाल रक्त कोशिकाओं के साथ प्रतिक्रिया करते हैं और हाइड्रोजन सल्फ़ाइड बनाते हैं.
उनका कहना है कि हाइड्रोजन सल्फ़ाइड रक्त वाहिनियों को आराम पहुँचाता है और इससे रक्त का प्रवाह आसान हो जाता है.
यह शोध बर्मिंघम के 'यूनिवर्सिटी ऑफ़ अलाबामा' में किया गया है और 'नेशनल अकैडेमी ऑफ़ साइंसेस' के प्रकाशन में प्रकाशित हुआ है.
हालांकि ब्रिटेन के विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि लहसन की अतिरिक्त मात्रा खाने से साइट इफ़ेक्ट हो सकते हैं.
उल्लेखनीय है कि हाइड्रोजन सल्फ़ाइड वही रसायन है जिससे सड़े हुए अंडों जैसी गंध आती है और इस रसायन का उपयोग दुर्गंध फैलाने वाले बम बनाने में किया जाता है.
लेकिन जब इसकी सांद्रता कम होती हैं तो यह शरीर की कोशिकाओं के आपस में संपर्क क़ायम करने में अहम भूमिका निभाता है.
यह रक्त वाहिनियों की भीतरी सतह को आराम पहुँचाता है जिससे वाहिनियाँ नरम पड़ जाती हैं.
इसका असर यह होता है कि रक्तचाप या ब्लड प्रेशर कम हो जाता है और शरीर को कई अंगों तक ख़ून को ज़्यादा मात्रा में ऑक्सीजन ले जाने में सहायता मिलती है और इसके चलते हृदय पर दबाव कम हो जाता है.
प्रयोग
अलाबामा के वैज्ञानिकों ने चूहे की रक्त वाहिनियों को लहसन के रस में डूबोकर देखा.
उनका कहना है कि इसके नतीजे अद्भुत थे क्योंकि वाहिनियों के भीतर तनाव 72 प्रतिशत तक कम हो गया था.
हमारे प्रयोग के परिणाम बताते हैं कि खाने में लहसन को शामिल करना अच्छी बात है
डॉ डेविड क्राउस, प्रमुख शोधकर्ता
शोधकर्ताओं का कहना है कि सुपरमार्केट से ख़रीदे गए लहसन के रस के संपर्क में जब लाल रक्त कोशिकाओं को लाया गया तो वे तत्काल हाइड्रोजन सल्फ़ाइड का निर्माण करने लगे.
आगे किए गए प्रयोगों से पता चला कि यह प्रतिक्रिया रक्त कोशिकाओं के सतह पर ही होती है.
प्रमुख शोधकर्ता डॉ डेविड क्रॉउस का कहना है, "हमारे प्रयोग के परिणाम बताते हैं कि खाने में लहसन को शामिल करना अच्छी बात है."
उनका कहना था कि भूमध्यसागरीय और सुदूर पूर्व के इलाक़ों में, जहाँ लहसन का प्रयोग अधिक होता है, वहाँ हृदय रोग की शिकायतें कम पाई जाती हैं.
हालांकि ब्रिटिश हार्डफ़ाउंडेशन की हृदयरोग विभाग की नर्स जूडी ओ-सूलिवान का कहना है कि इस शोध से पता चलता है कि लहसन से दिल के रोगों में कुछ फ़ायदा हो सकता है.
लेकिन वे चेतावनी देकर कहती हैं कि इस बात के प्रमाण अपर्याप्त हैं कि लहसन का प्रयोग दवा के रुप में करने से हृदय रोग होने का ख़तरा कम हो जाता है।
1 comments:
October 18, 2007 at 3:05 PM
काश! कि बायो-टेक्नोलोजिस्ट वैज्ञानिक प्याज लहसुन की ऐसी किस्म का आविष्कार करते, जिनमें दुर्गन्ध बिल्कुल नहीं होती! शायद मन्दिरों भी देवी-देवता इनका भोग लगाने लगते!
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