प्यार का इजहार .....

वीरान सी इस जिन्दगी में जब दोस्ती आपकी मिली,
लगा हमारी जिन्दगी भी अब है फिर से खिली.

आपकी मासूमियत पे हुवे हम फ़िदा,
चाहते रहेंगे आपको हम सदा.

भले ही चेहरा गए आपका भूल,
भा गए हमको आपके उसूल.

दोस्ती कब बदली मोहब्बत में पता यह ना चला,
जानता नही जो कर रहा हूँ वो बुरा है या भला.

रोकनी चाहि हमने यह चाह,
फिर लगा प्यार ही तो किया ना कोई गुनाह.

बेंतेहा करते है आपसे प्यार,
जिसका करते है हम आज इजहार.

अब तो हमारी है एक ही ख्वाहिश,
गौर करे हमारी आप यह गुजारिश.

सोच कर तो देखो इस बारे में ए हंसिनी,
क्या आप बनेंगे हमारी जीवन संगिनी ..................


बृजेश खंतवाल

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